Saturday, April 26, 2008

कहां तक जाएगा सोने का भाव?

नई दिल्ली। डॉलर में और मजबूती की संभावना से सोने की चमक कितनी फीकी पड़ेगी यह कहना तो मुश्किल है लेकिन इतना तो तय है कि सोना के लिए आगे का रास्ता कांटो भरा होगा।

बाजार समीक्षकों के अनुसार अकेले सिर्फ डॉलर सोने का रास्ता नहीं रोक रहा है बल्कि तेल भी पैर खींचने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस बात की पुष्टि अमेरिका से प्रकाशित विभिन्न आर्थिक आंकड़ों से होती है।

बेरोजगारी व टिकाऊ वस्तुओं की मांग से संबंधित आंकड़े इस बात की हामी भर रहे हैं कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था अब सुधार की राह अख्तियार करने लगा है लेकिन मकानों की बिक्री से संबंधित आंकड़े अभी भी इस बात की इजाजत नहीं दे रहे हैं कि सब-प्राइम संकट के प्रभाव को एकबारगी नकार दिया जाए। और दोनों स्थिति सोना के लिए नुकसानदेह ही हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार अगर दूसरी स्थिति के संबंध में विचार करें तो मकानों की बिक्री से संबंधित आंकड़े अमेरिकी लोगों की क्रयशक्ति में गिरावट के सूचक हैं और अगर स्थिति सचमुच ऐसी है तो तेल की कीमतों के लिए घाटा ही घाटा है। गौरतलब है कि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी सोने की रंगत को उसी तरह चढ़ाती है जैसे डॉलर में गिरावट।

पहली स्थिति पर भी गौर करें तो सोने के लिए कोई शुभ संकेत नहीं है। बेरोजगारी व टिकाऊ वस्तुओं की मांग से संबंधित आंकड़े डॉलर की ही चांदी कर रहे हैं तभी तो कल कारोबार के दौरान यूरो डॉलर की तुलना में पिछले तीन सप्ताह के निचले स्तर पर चला गया था। सर्राफा बाजार की आंकड़ेबाजी के संदर्भ में भी सोने की तस्वीर बयान की जा सकती है।

न्यूयॉर्क मर्केटाइल एक्सचेंज (नाइमेक्स) के कामेक्स डिवीजन में उक्त दोनों स्थितियों के मद्देनजर सोने का जून वायदा गुरुवार को 19.60 डालर टूटकर 889.40 डॉलर प्रति औंस बंद हुआ था। इसी तरह बुधवार को भी समान अवधि का सोना वायदा 16.20 डॉलर गिरा था। इस तरह से कुल दो कारोबारी दिनों में सोना को तकरीबन 36 डॉलर का नुकासान हो चुका है।

कामेक्स में शुक्रवार को सोना कारोबार के दौरान 1.15 डॉलर की नरमी से 887 डॉलर प्रति औंस दर्ज किया गया। जबकि शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड में यह 889 डॉलर प्रति औंस रहा। उधर अंतराष्ट्रीय बाजार में एक यूरो 1.5608 डॉलर के बराबर चल रहा है जबकि तेल 116.77 डॉलर प्रति बैरल है।

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